Dream11 को लगा बड़ा झटका: 95% Revenue Loss, BCCI Sponsorship खत्म, लेकिन Job Cuts नहीं – CEO Harsh Jain का बयान

Dream11 की कमाई में 95% की गिरावट, BCCI Sponsorship का अंत, Harsh Jain बोले– कर्मचारियों की छंटनी नहीं होगी

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Dream11 Revenue Drop: 95% | Harsh Jain (X)

भारत का सबसे बड़ा फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म Dream11 अचानक ही बड़े झटके में आ गया है। संसद में ऑनलाइन गेमिंग कानून पास होने के बाद हालात ऐसे बने हैं कि कंपनी की आमदनी लगभग 95 प्रतिशत गिर गई है। इतना बड़ा आघात अचानक कैसे संभालेगा, यही अब सबसे बड़ा सवाल है।

Dream Sports (Dream11 की मूल कंपनी) कई सालों से भारत का सबसे लोकप्रिय ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म रहा है। IPL से लेकर अलग-अलग क्रिकेट टूर्नामेंट, फुटबॉल, कबड्डी—सब कुछ का फैंटेसी गेम Dream11 पर करोड़ों यूज़र्स खेलते थे। लेकिन पिछले हफ्ते ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग पूरी तरह से बैन होने के बाद कंपनी का बिजनेस मॉडल ही ढह गया।

हर्ष जैन की प्रतिक्रिया

Dream11 के सह-संस्थापक और CEO हर्ष जैन (Harsh Jain) ने एक इंटरव्यू में कहा—“हाँ, यह हमारे जीवन का सबसे अंधकारमय समय है। 95 प्रतिशत आमदनी का एक झटके में चले जाना सचमुच डरावनी बात है। लेकिन हम अपने कर्मचारियों के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे। Dream11 के लगभग 800 कर्मचारियों की नौकरी पूरी तरह सुरक्षित है। हमारे पास पर्याप्त पूंजी है।”

एक तरफ़ जब हर जगह से खबर आ रही है कि गेमिंग कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, Dream11 की तरफ़ से ऐसा ऐलान कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत है।

BCCI के साथ रिश्ता खत्म

सबसे बड़ा झटका क्रिकेट की दुनिया से भी आया। Board of Control for Cricket in India (BCCI) की जर्सी स्पॉन्सरशिप से Dream11 हट गया। इस डील की कीमत थी सैकड़ों करोड़ रुपये। भारतीय क्रिकेट टीम की ऑफिशियल जर्सी पर Dream11 का लोगो एक समय गर्व से दिखता था। वह कॉन्ट्रैक्ट अब खत्म हो गया है।

ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग बैन होने के बाद कंपनी के लिए यह स्पॉन्सरशिप जारी रखना संभव नहीं था। नतीजतन बोर्ड से भी रिश्ता तोड़ना पड़ा।

नए रास्ते पर चलने की तैयारी

हालांकि हर्ष जैन ने कहा कि वे हार नहीं मानेंगे। उन्होंने बताया, Dream11 अब से फ्री-टू-प्ले सोशल गेम्स और Sports AI पर ध्यान देगा। कंपनी के पास विशाल यूज़रबेस (260 मिलियन से भी ज्यादा) है। उन यूज़र्स को बनाए रखने के लिए वे नए तरह के गेम और टेक्नोलॉजी लाने वाले हैं।

यानि, रियल मनी गेम बंद हो गए, लेकिन गेमिंग प्लेटफॉर्म के तौर पर Dream11 फिर से नए सिरे से खड़ा होना चाहता है।

भारत की गेमिंग इंडस्ट्री का संकट

लेकिन Dream11 अकेला नहीं है, पूरी इंडस्ट्री अब मुश्किल में है। कुछ साल पहले तक भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के भविष्य पर बड़े-बड़े रिपोर्ट आ रहे थे। कहा जा रहा था, 2025 तक यह 25 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा का मार्केट होगा। लाखों नौकरियां पैदा होंगी, करोड़ों टैक्स आएंगे।

लेकिन असलियत में हुआ इसका उल्टा। पहले GST (पद एवं सेवा कर) 28 प्रतिशत कर दिया गया ऑनलाइन गेमिंग पर। इससे कंपनियों पर टैक्स का बोझ बहुत बढ़ गया। फिर आया यह नया बिल, जिसमें रियल मनी गेम पूरी तरह बैन कर दिए गए। नतीजतन एक झटके में पूरी इंडस्ट्री बर्बादी की कगार पर आ गई।

विशेषज्ञों की राय

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार का यह कदम बहुत जल्दबाज़ी में लिया गया। Dream11, Mobile Premier League (MPL), Games24x7 जैसी बड़ी कंपनियां देश की खेल संस्कृति और अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दे रही थीं। लेकिन अब हजारों कर्मचारियों का भविष्य अंधेरे में है।

दूसरी ओर कुछ लोग यह भी कहते हैं कि रियल मनी गेमिंग असल में ऑनलाइन जुए जैसा है। इसमें आम लोग ठगे जा रहे थे, करोड़ों रुपये गंवा रहे थे। इसलिए सरकार का यह कदम ज़रूरी था।

यूज़र्स की प्रतिक्रिया

Dream11 के करोड़ों यूज़र्स की प्रतिक्रिया भी मिली-जुली है। कोई कह रहा है कि उन्हें दुख है कि उनका पसंदीदा फैंटेसी गेम अब नहीं खेला जा सकेगा। तो कोई कह रहा है कि इससे ऑनलाइन लत से मुक्ति मिलेगी।

आगे क्या हो सकता है?

Dream11 के पास अब भी कुछ ताक़त है। कंपनी ने काफी निवेश जुटाया है, और उनके पास पर्याप्त पूंजी भी मौजूद है। अगर वे सही समय पर सही दिशा चुन पाए, तो एक बार फिर भारतीय बाज़ार में मज़बूती से वापसी कर सकते हैं।

लेकिन यह बात माननी होगी कि 95% आमदनी खोना कोई साधारण घटना नहीं है। यह किसी भी कंपनी के लिए भयानक झटका है।

Dream11 की कहानी दरअसल भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की कहानी है। एक समय जो करोड़ों-करोड़ों का खेल था, आज वही बर्बादी की कगार पर है। फिर भी Dream11 के CEO हर्ष जैन उम्मीद दिखा रहे हैं—वे मानते हैं कि नए आइडिया, नए प्रोडक्ट, नई दिशा उन्हें ज़िंदा रखेगी।

आने वाले दिनों में Dream11 फिर खड़ा हो पाएगा या नहीं यह वक्त ही बताएगा। लेकिन फिलहाल एक बात साफ़ है—इस सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

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